Sunday, February 5, 2012


मै प्रेम का बीज बनकर आ गई हूं
तुम्हारे दिल में और बस गई हूं चाहत की मीट्टी में
जब ये बीज पामे वॄक्षत्व को
और फ़ले-फ़ूले 
तब फ़ूल चडा देना श्याम के चरणॊ में
और फ़ल ले लेना तुम
और बीज कीसी और के दिल में बो देना
इस तरह मैं प्रेम बनकर फ़ैलना चाहती हूं सारे जग में
बस फ़िर प्रेम ही प्रेम होगा ....
पर तुम्हे साथ देना होगा मेरा, बिच की कडी कही तूट ना जाये..
तुम साथ दोगे ने मेरा ?
यशोधरा प्रीति

4 comments:

  1. बहुत उत्तम सोच और उसकी सुंदर और प्रभावी अभिव्यक्ति...शुभकामनायें !

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  2. गहरी सोच ...बेहतरीन प्रस्तुति यासोधरा जी !
    आभार !

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  3. मनीष सिंह निरालाji thankx

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